कभी मीठी सी मुस्कान हूं मैं ।
कभी किसी की अरमान हूं मैं ।
कभी किसी की जान हूं मैं ।
कभी किसी की जहान हूं मैं ।
कभी मुझमें दुनिया समायी है ।
कभी मैंने इतिहास रचायी है ।
इस धरा की क्या बात करूं मैं ।
तीनों लोकों में मेरी महिमा छायी ।
मैं हूं एक नारी जो नहीं है बेचारी ।
कभी मैं लक्ष्मी, कभी खप्परधारी ।
जब बात आये परिवार की तो,
बन जाऊँ मैं ही दुर्गा मैं ही काली ।
जो बढे़ हैं कदम नहीं पीछे रखना ।
अब हमें न कोई अबला कहना ।
अन्याय नहीं अब हमको सहना ।
हां हमको भी है आगे रहना ।
हां हमको भी है आगे रहना।
नाम – दीपमाला पाण्डेय
शिक्षा – स्नातकोत्तर, बी. एड.
रूचि – लेखन गद्य, पद्य, कविता, गजल, गीत, समीक्षा, कहानी, लघुकथा, सेदोका आदि
प्रकाशित किताब- अंकुर प्रकाशन की कथादीप, विविध पत्र पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित
सम्मान – साहित्य के क्षेत्र में अनेकों सम्मान प्राप्त हुये हैं।
पता- शांतिविहार कालोनी डगनिया रायपुर छग