मेरे हिन्दोस्तां पर लिखने बैठी, बता कौनसी कहानी लिखदूँ!
खून की जो होली खेल रहा, उस फौजी की कुर्बानी लिखदूँ!!
पल पल रंग बदलते नेता, उनकी रंगीन गिरेबानी लिखदूँ!
खुद भूखा सबका पेट भरे, किसान की मेहरबानी लिखदूँ!!
नोंच खाये जो औरत जात को, उन मर्दों की हैवानी लिखदूँ!
कच्ची उम्र में फाँसी पर झूले, उस शेर की जवानी लिखदूँ!
वृदाश्रमों में जो बुजुर्ग है, क्या उनकी शाम सुहानी लिखदूँ!
मोहब्बत के नाम गन्दा खेल, क्या वो रुत मस्तानी लिखदूँ!
कोख में जो मरवाई जाती,क्या उस बेटी को मैं रानी लिखदूँ!
भृष्टाचारी, ठगीऔर गुंडागर्दी, या नित होती बेईमानी लिखदूँ!
कोरा कागज बाट जोहे, क्या कलम की हर शैतानी लिखदूँ!
लफ्ज “मलिक” बताएगी या, मैं अपनी ही मनमानी लिखदूँ!
मेरे हिन्दोस्तां पर लिखने बैठी, बता कौनसी कहानी लिखदूँ!
#सुषमा मलिक “अदब”
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।