देख कर करतूत जमाने की, मेरा खून ख़ौल उठता है!
कैसे पैदा करूँ मैं बेटी, एक बेबस बाप बोल उठता है!!
अगर दुनिया में आयी मेरी बेटी, ये दरिंदे जीने ना देंगे!
ना सुख से रह पाएगी वो, घूंट पानी की पीने ना देंगे!!
कहां छिपाऊँगा उस कली को,कहाँ-कहाँ साथ जाऊंगा!
ना जाने कब कहां पर, उसे मैं किस हाल में पाऊंगा!!
घर मे बचा लूंगा मैं पर, उसे स्कूल में भी तो जाना है!
छोड़ आऊंगा अगर मैं, उसे वापस घर भी तो आना है!!
ट्यूशन कॉलेज मेले बाजार, कहाँ कहाँ से उसे रोकूंगा!
कैसे जियेगी वो परी अगर, कदम कदम पर मैं टोकूँगा!!
हर जगह पर खड़े भेड़िए,नोंच खाने को बदन उसका!
पहले ही उजाड़ा जाता है,महका नही चमन जिसका!!
बलात्कार के बाद भी, उनके अंग अंग काटे जाते हैं!
बेटी कैसे लाऊँ “मलिक”, दिल मे ये सवाल आते हैं!!
देखकर ये भयानक मंजर, मेरा पल पल दिल टूटता है!
कैसे पैदा करूँ मैं बेटी,एक बेबस बाप बोल उठता है!!
#सुषमा मलिक “अदब”
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।