गरीबी

0 0
Read Time1 Minute, 48 Second

aashutosh kumar
अवतरित हुआ अब तो,
भारत का पार्थ।
पृथक-पृथक मानसिकता,
को देकर मात।।

शपथ लेकर आया है,
सुशोभित अब सिंहासन।
तनिक भी क्लेश नहीं,
दूर होगा अब दुःशासन ।।

जागृत रही जनआकांक्षा तो,
होंगे कठिन कार्य पूर्ण।
जनमत की ताकत तो,
अधिकार देता सम्पूर्ण।।

राष्ट्र ध्वज तीन रंगो का,
तीन ही सबकी मांग।
रोटी कपड़ा और हो मकान,
सबसे पहला काम।।

देखता हूँ आज भी,
फूटपाथ पर सोते लोग।
ठंढ में आग और गर्मी में,
वृक्ष से पनाह लेते लोग।।

नजर पड़ती पैरो पर,
फटी एडियाँ कहती।
चेहरे की शिकन तो
मजबूरियाँ ही बयां करती।।

झुग्गियों से टप टप,
चुती हुई बरसात की बूँदे
जब तन को भींगोती हैं
वेवसी कितनी रोती है।।

तपती घूप में मजदूरों को,
तन भींग रहा देखो।
शाम को सेठ का उससे
मोल भाव करता देखो।।

दिल पसीज जाता है,
वेवसी का मंजर देखकर।
पर वे तो वादे कर जाते
इन्हें बदहाली देकर।।

“आशुतोष”

नाम।                   –  आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम –  आशुतोष
जन्मतिथि             –  30/101973
वर्तमान पता          – 113/77बी  
                              शास्त्रीनगर 
                              पटना  23 बिहार                  
कार्यक्षेत्र               –  जाॅब
शिक्षा                   –  ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन                 – नगण्य
सम्मान।                – नगण्य
अन्य उलब्धि          – कभ्प्यूटर आपरेटर
                                टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य   – सामाजिक जागृति

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

रहने दे 

Mon Jun 3 , 2019
रोजमर्रा की जद्दो-जहद में परेशान रहने दे रहम कर रहनुमाओं मुझे बस इन्सान रहने दे । ये हिन्दू,ये मुसलमां,ये सिक्ख और ये ईसाई मजहबी नाम पर ये वोटों की दुकान रहने दे । कब तक बेचेगा ज़मीर जम्हुरियत के बहाने चैनो-अमन अहले वतन हिन्दूस्तान रहने दे । महफूज़ रहते हैं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।