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‘राम तुम्हारी माँ का पत्र आया है,’दीपा ने चिढ़ते हुए कहा।
‘क्या लिखा है जरा पढ़ना तो’, राम ने दीपा से कहा।
‘क्या लिखा होगा! यही कि,सर्दियाँ आ गई है,मुझे यहां से ले जाओ। हर बार का नाटक। बीमारी का बहाना बनाकर आ जाती है और पूरी ठंड में हमें परेशान होना पड़ता है उनकी देखभाल में। मैं कह देती हूं,इस बार मुझसे कोई उम्मीद मत करना।’-दीपा बोले ही जा रही थी।
बेचारा राम अपनी बेबसी छुपा रहा था कि,वो माँ को कैसे मना करे यहाँ न आने को।
माँ को अस्थमा था और सर्दी में तबियत ज्यादा खराब हो जाती थी। इस कारण माँ ठंड में राम के पास आकर रहती थी।
राम ने माँ को पत्र लिखा-‘माँ कुछ पैसे भेज रहा हूँ,अपनी देखभाल के लिए किसी बाई को रख लेना,मैं तुम्हें इस बार लेने नहीं आ सकता।’
पत्र में राम की विवशता मौन रूप से दिखाई दे रही थी।
#सपना परिहार
परिचय : सपना परिहार की जन्मतिथि-२७ सितम्बर १९७४ और जन्म स्थान-ग्वालियर(मध्यप्रदेश) हैl आपका निवास शहर नागदा हैl एम.ए.(हिन्दी,इतिहास) तथा बी.एड. शिक्षित सपना परिहार का कार्यक्षेत्र अध्यापन(शिक्षिका) का हैl आपको सामाजिक क्षेत्र में कई संस्थाओं से जुड़ने का मौका मिला है l लेखन में आपकी विधा छंदमुक्त है,जबकि कई पत्र-पत्रिकाओं में गीत,ग़ज़ल,कहानी एवं लेख भी प्रकाशित हो चुके हैंl लेखन के लिए आप कई संस्थाओं तथा श्रेष्ठ कवियित्रि के सम्मान से सम्मानित हो चुकी हैं l अन्य उपलब्धि देखें तो आकाशवाणी (इंदौर) से रचनाओं का प्रसारण हुआ हैl आपके लेखन का उद्देश्य-मन के उदगारों को लोगों तक लेखनी से अभिव्यक्त करके पहुंचाना है।
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