जन-जन में जागृत हो,वृक्ष के प्रति सम्मान।
धूप ताप से आराम दे,जलवायु हो समान।।
सादा विचार रख के, सबका करो उपकार।
पेड़ में भी प्राण है, देता लाभ हजार।।
सबको है आभास यह,फिर भी मन में न विचार।
साफ सफाई में मग्न हो, पेड गिराये हजार।।
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निष्कर्ष
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राष्ट्रवाद छाया जहन में, जातिवादी गछबंधन में फूट।
परिणामों से चौंके ऐसे,मनमानी गयी छूट।।
मुद्दो से भटककर वो,बोल रहे थे कड़वे बोल।
चिंता नही तनिक देश की,सिर्फ पीट रहे थे ढ़ोल।।
जनता ने बीन बजायी की,तरस कर रह गये सब।
बोलने को तो बोल गये, लेकिन पछता रहे अब।।
देशभक्त की यह आँधी थी, सभी पर भारी पड़ी।
बदलाव की भावना लिए, सबको फर्ज निभानी पड़ी।।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति