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खंजर दिल में लेें चलें ,घूम रहा बेबात |
कब मारे किसको पता,”माही” मानव तात ||१||
दिल में कितना दर्द है, नाप सके जो कोय |
खुद भी एकाकार जो,मानव ऐसा होय ||२||
बेचारी की बेबसी,तनिक ठहरकर झाँक |
बुरी नजर से क्यों रहा,दुर्नर उसको ताक ||३||
मनु तेरी यहाँ सद्गति,तब साची मिल पाय |
स्वार्थ हीन सब साथ दे,सबके मन तू भाय ||४||
दूध कोई नही,दिखा रहे हैं साख |
अंगारे खुद को केहें,जो हैं केवल राख ||५||
भाग्य खोजने चल पड़ा,मंदिर तीरथ धाम |
कर्म शोधअपना यहाँ,तनकर आठो याम ||६||
नेता देता कुछ नही, भरता केवल जेब |
लोकतंत्र के गर्भ मे,पलता ऐसा ऐब ||७||
गीता की धरती यही,और लिखा है वेद |
जग को सारा ज्ञान दे,बूझ न पाया भेद ||८||
दुर्योधन लगते सभी,अर्जून लगे न कोय |
पता नही श्री कृष्ण का , जाने कब का होय ||९||
बालापन बरसात है,यौवन है मधुमास |
ग्रीष्म बुढापा खोजता,ठंड़ी- ठंड़ी सांस ||१०|
#अशोक महिश्वरे
गुलवा बालाघाट म प्र
#परिचय
नाम -अशोक कुमार महिश्वरे
पिता स्वर्गीय श्री रामा जी महिश्वरे
माता स्वर्गीय शकुंतला देवी महिश्वरे
जन्म स्थान -ग्राम गुलवा पोस्ट बोरगांव, तहसील किरनापुर जिला बालाघाट मध्य प्रदेश
शिक्षा स्नातकोत्तर हिंदी साहित्य एवं अंग्रेजी साहित्य ,बीटीआई व्यवसाय :मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर वर्तमान में शासकीय प्राथमिक शाला टेमनी तहसील लांजी जिला बालाघाट मध्य प्रदेश में पदस्थ हूँ
लेखन विधा गद्य एवं पद्य
प्रकाशित पुस्तकें: प्रकाश काधीन १/साझा काव्य संग्रह २/नारी काव्यसंग्रह
प्रकाशक साहित्य प्रकाशन झुंझुनू राजस्थान
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