भज ले कृष्ण कन्हैया
सबको तू ही नाच नचाया रे
हे गिरधर गोपाल
तान ऐसा तुने क्यों सुनाया रे ।
अपनी धुन में रमा ले मुझको
जनम सफल हो जयेगा
तेरे नाम की माला से
जग मे नाम कमायेगा
वो मुरली वाले
एक तेरा ही सहारा रे
भज ले कृष्ण कन्हैया
सबको तू ही नाच नचाया रे
हे गिरधर गोपाल
तान ऐसा तुने क्यो सुनाया रे ।
कंस का बध हो
या कौरवो का
सबके पीछे तुझको पाया रे
तेरी मधुर मुस्कान में
सारा जग समाया रे
भज ले कृष्ण कन्हैया
सबको तू ही नाच नचाया रे
हे गिरधर गोपाल
तान ऐसा तुने क्यो सुनाया रे ।
तुमसे ही ये सारा जग है
तेरी ही प्रकृति
तेरा गगन तेरा धरती
तेरी सूर्य तेरा चंद्रमा
फिर क्यू तेरी भक्ति में
अंधकार समाया रे
भज ले कृष्ण कन्हैया
सबको तू ही नाच नचाया रे
हे गिरधर गोपाल
तान ऐसा तुने क्यो सुनाया रे ।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति