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बनन मे बागन मे, आंगन तडागन मे।
गगन में देखौ रूप, सौ गुना सुहायो है।।
मधुपाली काकपाली ,आली वनमाली हू ।
ऊपरी निकाई औ, ऊछाह छवि छायो है।।
तारन मे हारन मे ,सरिता की धारन मे,।
शोभित पहारन मे, तेज अधिकायो है।।
मोद सरसायो अनुराग जागि आयो रस,।
अंग अंग छायो ऋतु राज व्रज आयो है।।
#सुभाषिनी भारद्वाज( शुभी)
परिचय-
नाम– सुभाषिनी भारद्वाज
साहित्यिक उपनाम—-“आधुनिक मीरा” कालेज द्वारा दिया गया नाम,, पुरस्कार सहित
राज्य–उत्तर प्रदेश
शहर—कानपुर
शिक्षा—वाणिज्य,स्नातक, लेखान्कन, पी•सी• एम(इन्टरमीडियट) एम• डी• सी टी , ए •डी •सी •ए , कोर्स आन कम्प्यूटर कानसेप्ट,, स्काउट एण्ड गाईड
कार्यक्षेत्र– लेखान्कन
विधा–आलोचना, कहानी , कविता,
सम्मान— शिक्षा , साहित्य तथा संगीत के क्षेत्र मे,
अन्य उपलब्धिया– कालेज स्तर प्रेसीडेन्ट,, मेरी रचना अन्य मैगजीन मे प्रकाशित हो चुकी है, युवा महिला साहित्य संगम की महासचिव वर्तमान (राट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय कवि, श्री बिहारी लाल तिवारी “बाबा) की शिष्या
लेखन का उद्देश्य–समाज को नयी दिशा प्रदान करना,, देश सेवा
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