चीख रही है बेबस नारी,
सुनले अ दरिंदे बलात्कारी….
नोचा जब तूने इस तन को, आवाज नही आई तेरे मन मे!
9 महीने गर्भ में रहा नारी के, सिहरन ना हुई तेरे तन में!!
अस्तित्व तेरा नारी से, इसकी उंगली पकड़कर खड़ा हुआ!
नारी तन के स्तन से ही, दूध पी-पीकर तू बड़ा हुआ !!
आंखों पर पट्टी बंधी तेरे, तुझ पर हवस का सुरूर हुआ!
नोंच कर के नारी तन को, तुझे मर्दानगी पर गुरुर हुआ!!
नारी को शिकार बनाया तब, तेरी बहन की तुझको याद ना आई!
रक्षा का वचन दिया जिसको, बना फिरता था जिसकी परछाई!!
कर इज्जत तू नारी की, हर किसी से इज्जत पायेगा!
“मलिके” कहे मान बात मेरी, तू संस्कारी कहलायेगा!!
ना नोंच बहन तू किसी की, पड़ जाएगी ये गलती भारी!
चीख रही है बेबस नारी, सुनले अ दरिंदे बलात्कारी!!
#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।