सबका ही सम्मान तू करना ,
नहीं कभी अपमान तू करना
हिंदू मुस्लिम बाद में बनना ,
पहले तू इन्सान ही बनना ।
तकलीफ़े न देना किसी को,
कभी किसी को दुखी न करना
तकलीफों को सदा समझकर,
साथ निभा इन्सान ही बनना ।
बैर की आग बुझाना यारों,
नफरत की न खेती करना ,
अमन चैन खुशहाली लाकर
आप सदा इन्सान ही बनना ।
नहीं कभी धमकाना किसी को
सबको डराकर राज न करना
सबके दिल पर राज करो तुम ,
ऐसा इक इन्सान ही बनना ।
उलझन तो आते जीवन में,
इनसे नहीं घबराना तुम ,
हर उलझन को खुद सुलझाकर
इक अच्छा इन्सान ही बनना ।
बांटे जो कोई हमको ‘एहसास’
धर्म जाति के नारों पर,
लड़ के बिखर के नहीं टूटना ,
हाथ थाम इन्सान ही बनना ।
#अजय एहसास
परिचय : देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सुलेमपुर परसावां (जिला आम्बेडकर नगर) में अजय एहसास रहते हैं। आपका कार्यस्थल आम्बेडकर नगर ही है। निजी विद्यालय में शिक्षण कार्य के साथ हिन्दी भाषा के विकास एवं हिन्दी साहित्य के प्रति आप समर्पित हैं।