गैरों से गिला नहीं मुझको,,
मुझे अपनो ने ही रुलाया है,,
लगा के सीने से उन्होने फिर,,
खंजर मुझे चुभाया है,,,
समंदर में जो लेके उतरे थे,,
उनपे भरोसा जायज था,,
रिश्तों का था हवाला,,
बेफिक्री में डर भी गायब था,,
कश्तीं के जो मेरी मांझी थे,,
उन्होने ही मुझे डुबाया है,,
लगा के सीने से उन्होने फिर,,
खंजर मुझे चुभाया है,,
दिल से था सोचा हमने,,
ना कि कोई पैंतरेबाजी,,,
मगर जमाना है दिमागी,,
चले चाल़े खुराफाती,,
जिनको बैठाया दिल में,,
उन्होने ही दिल दुखाया है,,
लगा के सीने से उन्होने फिर,,
खंजर मुझे चुभाया है,,
#सचिन राणा हीरो
हरिद्वार (उत्तराखंड )