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मन में अटूट विश्वास लिए
कहनी तुमसे एक बात प्रिये l
तुम पूरण कर देना इसको
मन की यह अंतिम आस प्रिये l
जब तलक साथ हम दोनों प्रिये
तुम मेरे हो मैं तुम्हरी हूं l
पर आज तुम्हारे सम्मुख मै
कल की तस्वीर दिखाऊं प्रिये l
तुम पूरण कर देना इसको
मन अंतिम आस प्रिये l
जब मैं तुमसे दूर हो जाऊंगी
तुम ‘ विरह -व्यथित ‘ हो जाओगे l
फिर मैं कैसे कह पाऊंगी
फिर तुम कैसे सुन पाओगे l
इसलिए अभी से कहती हूं
तुम ध्यान से सुन लो मेरे प्रिये l
यह शब्द नहीं अंतर्मन है
मुख से निकले जज्बात प्रिये l
जब साथ हमारा छूटेगा
यह श्वास दीप बुझ जाएंगे l
उस वक्त बिना घबराये तुम
गंगाजल मुझे पिलाओ प्रिये l
कुछ पल रोने से पहले तुम
हॉस्पिटल फोन लगाओ प्रिये l
जब लोग वहां से आये तो
मेरी ‘अंतिम-आस ‘ बताओ प्रिये l
फिर अपने मन को द्रढ करके
मेरे अंग दान करवाओ प्रिये l
बच्चों को हौसला देकर तुम
‘जीवन का क्रम ‘ समझाओ प्रिये l
‘नश्वर है यह यह काया ‘ सब की
यह मंत्र उन्हें बतलाओ प्रिये l
कुछ देर बाद जब मेरे घर
यह ‘ देह ‘ लौट कर आय प्रिये l
ना जाने कितनी लोगों को यह
‘ नवजीवन ‘ दे जाए प्रिये l
फिर महाकाल की नगरी में
करना मेरा अंतिम-संस्कार प्रिये l
बस मृत्यु भोज ना करवाना
इतना करना उपकार प्रिये l
उन पैसों से निर्धन जन को
स्कूलों में पढ़वा देना l
ब्रम्ह- दान से अच्छा तो तुम
ज्ञानदान करवाओ प्रिये l
तब जाकर के हो पाएंगे
मेरे सपने साकार प्रिये l
जीवन की इस अंतिम क्षण में
तुमको लाखों आभार प्रिये l
नाम- कल्पना त्रिपाठी
साहित्यिक उपनाम- जो आप देना उचित समझें कविता पढ़ने के बाद
राज्य- मध्य प्रदेश
शहर- इंदौर
शिक्षा- (M.A.)B .ed
कार्यक्षेत्र- लेखांकन , हिन्दी के विकास में योगदान
विधा – कविता , लघुकथा l
प्रकाशन-…….
सम्मान-……
ब्लॉग-……..
अन्य उपलब्धियाँ-…..
लेखन का उद्देश्य- अपने विचारों से समाज में चेतना जाग्रत
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