‘अंतिम – आस’ 

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kalpana tripathi
मन में अटूट  विश्वास लिए
कहनी तुमसे एक बात  प्रिये l
तुम पूरण कर देना इसको
मन की यह  अंतिम आस  प्रिये l
जब तलक साथ हम दोनों प्रिये
तुम मेरे हो मैं तुम्हरी हूं l
पर आज तुम्हारे सम्मुख मै
कल की  तस्वीर दिखाऊं प्रिये l
तुम पूरण कर देना इसको
मन  अंतिम आस प्रिये l
जब मैं तुमसे दूर हो जाऊंगी
तुम ‘ विरह -व्यथित ‘ हो जाओगे l
फिर मैं कैसे  कह पाऊंगी
फिर तुम कैसे सुन पाओगे l
इसलिए अभी से कहती हूं
तुम ध्यान से सुन लो मेरे प्रिये l
यह शब्द नहीं अंतर्मन है
मुख से निकले जज्बात प्रिये l
जब साथ हमारा छूटेगा
यह श्वास दीप बुझ जाएंगे l
उस वक्त  बिना घबराये तुम
गंगाजल मुझे पिलाओ प्रिये l
कुछ पल रोने से पहले तुम
हॉस्पिटल फोन लगाओ प्रिये l
जब लोग वहां से आये  तो
मेरी ‘अंतिम-आस ‘ बताओ प्रिये l
फिर अपने मन को द्रढ करके
मेरे अंग दान करवाओ प्रिये l
बच्चों को हौसला देकर तुम
 ‘जीवन का क्रम ‘ समझाओ प्रिये l
 ‘नश्वर है यह यह काया ‘  सब की
यह मंत्र उन्हें बतलाओ प्रिये l
कुछ देर  बाद जब मेरे घर
यह ‘ देह ‘  लौट कर आय प्रिये l
 ना जाने कितनी लोगों को यह
‘ नवजीवन ‘ दे जाए प्रिये l
फिर महाकाल की नगरी में
करना मेरा अंतिम-संस्कार प्रिये l
बस मृत्यु भोज ना करवाना
इतना करना उपकार प्रिये l
उन पैसों से निर्धन जन को
स्कूलों में  पढ़वा देना l
ब्रम्ह- दान से अच्छा तो तुम
 ज्ञानदान करवाओ प्रिये l
तब जाकर के हो पाएंगे
मेरे सपने साकार प्रिये l
जीवन की इस अंतिम क्षण में
तुमको लाखों आभार प्रिये l
नाम- कल्पना त्रिपाठी 
साहित्यिक उपनाम- जो आप देना   उचित समझें कविता पढ़ने के बाद 
राज्य-  मध्य प्रदेश 
शहर- इंदौर 
शिक्षा- (M.A.)B .ed
कार्यक्षेत्र- लेखांकन ,  हिन्दी के विकास में योगदान 
विधा –  कविता , लघुकथा l 
प्रकाशन-…….
सम्मान-……
ब्लॉग-……..
अन्य उपलब्धियाँ-…..
लेखन का उद्देश्य- अपने विचारों से समाज में चेतना जाग्रत

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।