अजगर करे न चाकरी 

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vivek ranjan

संतो की वाणी में सत्य तो होता है . भगवान को भी  संतो की वाणी की रक्षा  करनी ही पड़ती है .संत मलूक दास जी के इस दोहे के संदर्भ में इन दिनो देश में तरह तरह की योजनायें चल रही हैं . अकर्मण्य और नकारा लोगों के हितार्थ सरकारें नित नई घोषणायें कर रही हैं . कहीं कर्ज माफी हो रही हैं तो कही लोक अदालतें लगाकर बिजली चोरी के प्रकरण बंद किये जा रहे हैं . बच्चे के जन्म से पूर्व से ही बच्चो के स्व घोषित मामा जन्म , शिक्षा ,फीस , किताबें , यूनीफार्म , सस्ता भोजन , मुफ्त बिजली , साइकिल , मोबाईल , कम्प्यूटर , नौकरी , रोजगार , बीमारी , यहाँ तक कि अंतिम संस्कार तक की व्यवस्था करते दिख रहे हैं .
“अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम, दास मलूका कह गये सबके दाता राम” . संत मलूक दास जी ने इस दोहे के माध्यम से यह संदेश देना चाहा था कि हमें अपने कर्म कर सब कुछ परमात्मा को अर्पित कर उन पर छोड़ देना चाहिये वे ही सबके दाता हैं और वे हमारी चिंता करते हैं . भगवान कृष्ण ने भी गीता में कहा कि “मां फलेषु कदाचन”  अर्थात फल की चिंता किये बिना कर्म करते रहना चाहिये . किंतु अपनी सुविधा के लिये आलस्य को ही अपना ध्येय मानने वाले लोगो ने बिना संदर्भ समझे इस दोहे को अपना गुरु मंत्र बना लिया है और सुविधा पूर्ण आराम के लिये वे स्वयं को अजगर सा स्थूल मानने को भी तैयार हैं . गांवों से शहरों की ओर पलायन रोकने के उद्देश्य से चलायी गयी केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा का नियम है कि बेरोजगार जो काम करने के इच्छुक है उनका जाबकार्ड बनाकर कम से कम साल भर में निर्धारित दिनों का काम जरूर दिया जायेगा काम उपलब्ध न होने पर बिना काम किये ही सीधे खाते में मजदूरी दी जावेगी .
आबादी चीन में भी बेहिसाब है , पर वहाँ सरकार ने काम की व्यवस्था कर रखी है इसलिये चीनी सामानो से दुनियां के बाजार लदे पड़े हैं . हमारी संस्कृति एक कमाये सारा घर खाये वाली रही है .इसलिये हम सारे देश के महज पांच करोड़ टैक्स पेयर्स के दम पर सवा अरब का पेट बर रहे हैं .  बिना काम की आबादी को व्यस्त रखने के लिये हर पाँच दस दिनो में कोई व्रत , त्यौहार वाला कैलेण्डर हमने बना रखा है . नये परिवेश में ऐसे अकर्मण्य लोग चुनावों के काम के हैं . वे भीड़ हैं . भीड़ भाषणो में नेता का उत्साह बढ़ाने के काम आती है . भीड़ नेता की ताकत है . नेता भीड़ देखकर घोषणायें करता है . भीड़ धर्म की रक्षा के काम भी आती है और माब लिंचिग के काम भी . भीड़ वोट हैं . भीड़ लोकतंत्र की शक्ति है . इसलिये भीड़ की प्रसन्नता जरूरी है . भीड़ को हमने नकारा बना रखा है जिससे भीड़ नेता जी के वश में बनी रहे . और नेता जी कुर्सी पर बने रहें . “अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम, दास मलूका कह गये सबके दाता राम” . नेता जी भी हर पांचवे साल कुछ काम करते दिखते हैं , और कुर्सी पाते ही फिर से सावधान से विश्राम की संत मलूक दास की मनोनकूल  पोजीशन ले लेते हैं .

#विवेक रंजन श्रीवास्तव
जबलपुर(मध्यप्रदेश)
परिचय
मूलतः व्यवसाय से इंजीनियर पर गंभीर व्यंगकार , हिन्दी में तकनीकी लेखन , कविता , नाटक , लेख हेतु जाना पहचाना देश व्यापी नाम . २००५ से हिन्दी ब्लाग में सतत सक्रिय 
जन्म     २८.०७.१९५९ , मंडला म.प्र.
 किताबें        रामभरोसे व्यंग संग्रह
        मेरे प्रिय व्यंग लेख
        कौआ कान ले गया  व्यंग संग्रह
             हिंदोस्ता हमारा नाटक संग्रह
            जादू शिक्षा का नाटक
            जल जंगल और जमीन
        बिजली का बदलता परिदृश्य
आकाशवाणी व दूरदर्शन से अनेक प्रसारण , रेडियो रूपक लेखन .
उपलब्धियाँ 
    हिंदोस्तां हमारा नाटक संग्रह को ३१००० रु का साहित्य अकादमी  हरिकृष्ण प्रेमी पुरस्कार
     रेड एण्ड व्हाइट  १५००० रु का राष्टीय पुरुस्कार सामाजिक लेखन हेतु
        रामभरोसे व्यंग संग्रह को राष्टीय पुरुस्कार दिव्य अलंकरण
    कौआ कान ले गया व्यंग संग्रह को कैलाश गौतम राष्ट्रीय सम्मान
    जादू शिक्षा का नाटक को ५००० रु कासेठ गोविंद दास कादम्बरी राष्ट्रीय सम्मान
    म. प्र. शासन का ५००० रु का प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार  जादू शिक्षा का नाटक को
    खटीमा उत्तरांचल स्थित बाल कल्याण संस्थान द्वारा विशेष रूप से बाल रचना हेतु सम्मानित
        सुरभि टीवी सीरियल में मण्डला के जीवाश्मो पर फिल्म का प्रसारण , युवा फिल्मकार सम्मान

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