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भारतीय भाषा की झंकार,
जनमानस तक पहुचाई,
कृष्ण तुम्हारी गीता गाई,।
तेरे द्वार लगाया डेरा,
जीवन सफल हुआ मेरा,
तेरे चरणो की रज लेकर,
अंग -अंग भस्म समाई,
कृष्ण तुम्हारी गीता गाई।
अश्रु बहाये चरणो पर जब,
सत्यामृत की धार वही तब,
अपने उर के चम्मच से,
प्यासे जग की प्यास बुझाई,
कृष्ण तुम्हारी गीता गाई,।
अल्प शक्ति धारी प्राणी,
बच्चे के समान है वाणी,
गागर मे सागर भरने को,
पर मैने हिम्मत दिखलाई,
कृष्ण तुम्हारी गीता गाई,।
तेरी करूणा से जो पाया,
वह इस अंजली मे ले आया,
गंगा मे गंगाजल लेकर,
गंगा की जलधार चढाई,
कृष्ण तुम्हारी गीता गाई।
#सुभाषिनी भारद्वाज( शुभी)
परिचय-
नाम– सुभाषिनी भारद्वाज
साहित्यिक उपनाम—-“आधुनिक मीरा” कालेज द्वारा दिया गया नाम,, पुरस्कार सहित
राज्य–उत्तर प्रदेश
शहर—कानपुर
शिक्षा—वाणिज्य,स्नातक, लेखान्कन, पी•सी• एम(इन्टरमीडियट) एम• डी• सी टी , ए •डी •सी •ए , कोर्स आन कम्प्यूटर कानसेप्ट,, स्काउट एण्ड गाईड
कार्यक्षेत्र– लेखान्कन
विधा–आलोचना, कहानी , कविता,
सम्मान— शिक्षा , साहित्य तथा संगीत के क्षेत्र मे,
अन्य उपलब्धिया– कालेज स्तर प्रेसीडेन्ट,, मेरी रचना अन्य मैगजीन मे प्रकाशित हो चुकी है, युवा महिला साहित्य संगम की महासचिव वर्तमान (राट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय कवि, श्री बिहारी लाल तिवारी “बाबा) की शिष्या
लेखन का उद्देश्य–समाज को नयी दिशा प्रदान करना,, देश सेवा
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Tue Aug 21 , 2018
घर को किया जो साफ आज तो मन की दिवारें खुलती देखी,,, बिखरी चिट्ठीयां देख पुरानी दिल की कराहें हिलती देखी,,, बरसो पहले के कुछ सपने जैसे गिरकर टूट गए हों,,, किसी की चाहत के अफसाने जैसे मुझसे रूठ गए हो,,, चिट्ठीयों के अक्षर धुंधलाए उन जज्बातो का कोई मोल […]