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उसी पे चाँद है बादल उसी पे पानी है
मेरा ज़मीन से रिश्ता भी आसमानी है
वो एक शख़्स है काहिल मगर है दौलत भी
किसी किसी पे खुदा की भी मेहरबानी है
रखेगा किस तरह आखिर मुझे छुपाए हुए
मैं जनता हूं कि खुशबू वो ज़ाफ़रानी है
शहर का रंग जो देखा तो फिर पता ये चला
ये सारी चीज सियासत में खानदानी है
कभी भी तुम मेरी तन्हाइयों पे मत रोना
जो तुम नहीं तो मेरे घर में रात रानी है
मुझे खबर है नहीं ये किसी के होते हैँ
बड़े बड़ों से जो रिश्ता है दरमियानी है
किसी से प्यार के रिश्ते कभी नहीं मरते
ये ज़िन्दगी तो बहरक़ैफ़ आनी जानी है
#डॉ.जियाउर रहमान जाफरी
परिचय : डॉ.जियाउर रहमान जाफरी की शिक्षा एम.ए. (हिन्दी),बी.एड. सहित पीएचडी(हिन्दी) हैl आप शायर और आलोचक हैं तथा हिन्दी,उर्दू और मैथिली भाषा के कई पत्र- पत्रिकाओं में नियमित लेखन जारी हैl प्रकाशित कृति-खुले दरीचे की खुशबू(हिन्दी ग़ज़ल),खुशबू छूकर आई है और चाँद हमारी मुट्ठी में है(बाल कविता) आदि हैंl आपदा विभाग और राजभाषा विभाग बिहार से आप पुरुस्कृत हो चुके हैंl आपका निवास बिहार राज्य के नालंदा जिला स्थित बेगूसराय में हैl सम्प्रति की बात करें तो आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य करते हैंl
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