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हिमालय की चोटी
को छूना चाहता हूँ ।
परींदो जैसा गगन
मैं उडना चाहता हूँ ।।
खुशियों की फिजा
में जीना चाहता हूँ ।
ध्रुव तारे की तरह
चमकना चाहता हूँ ।।
शिल्पकार की तरह
आकार देना चाहता हूँ ।
विवेकानंद,चाणक्य की
तरह बनना चाहता हूँ ।।
मेरे हर एक सपनों को
साकार करना चाहता हूँ ।
हाँ , मैं पढना चाहता हूँ
स्कूल जाना चाहता हूँ ।।
# गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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