विजयानंद विजय संसद भवन में स्थित गाँधीजी की मूर्त्ति के सामने उनके तीनों बंदर अपनी चिर – परिचित मुद्रा में बैठे थे। वे बार – बार अपना सिर जमीन से टिकाते और सिर हिलाते। उनके अजीब व्यवहार से देखते – ही – देखते वहाँ नेताओं की भीड़ जमा हो गई। […]
लघुकथा
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