शहर के नामी अस्पताल के, वीआईपी कमरे के बेड पर, अनेक आधुनिक मशीनों से, घिरा मैं घड़ी की सुईयों को, ताकता हुआ गिन रहा हूँ, अपने जीवन के अंतिम पल, टिक-टिक की आवाज… साफ गूँज रही है, मेरे कानों में डाक्टर-नर्स भी, दवा देकर थककर जा चुके हैं मुझे, शायद […]
काव्यभाषा
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