खुदा जो तेरा था वही खुदा तो मेरा था। फिर मेरे हिस्से में रात क्यों,तेरे तो सवेरा थाll जश्ने-दिवाली मनाई गई तेरे घर में। तुझे क्या खबर,मेरे घर में अंधेरा थाll रोक तो सकते थे,मगर खामोश रहे क्योंकि। जिन हाथों ने उठाए थे पत्थर, सुना था उसमें हाथ […]
काव्यभाषा
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