खुदा जो तेरा था वही खुदा तो मेरा था। फिर मेरे हिस्से में रात क्यों,तेरे तो सवेरा थाll   जश्ने-दिवाली मनाई गई तेरे घर में। तुझे क्या खबर,मेरे घर में अंधेरा थाll    रोक तो सकते थे,मगर खामोश रहे क्योंकि। जिन हाथों ने उठाए थे पत्थर, सुना था उसमें हाथ […]

`हिन्दी दिवस` विशेष……… छात्र जीवन में अनायास ही एक बार दक्षिण भारत की यात्रा का संयोग बन गया। तब तामिलनाडु में हिन्दी विरोध की बड़ी चर्चा होती थी। हमारी यात्रा ओड़िशा के रास्ते आंध्रप्रदेश से शुरू हुई और तामिलनाडु तक जारी रही। इस बीच केरल का एक हल्का चक्कर भी […]

गर तू मेरे साथ न होती, जी कर भी मैं क्या करता। रुक जाता मैं कहीं गली में, जैसे पथिक है थक जाता॥ तुम मेरे दिल की धड़कन हो, साँस हवाले करता हूँ। करके तुमको याद मैं हरदम, खोया-खोया सा रहता हूँ॥ भले तुम्हारे की चाहत की, सोच हमेशा रखता […]

कुछ रोशनी के छींटे आए नजर उधर से। कोई गांव जल गया,लगता है एक पहर से॥ कुछ खुशबू भी है, सौंधी-सौंधी मिट्टी और राख की। उबला हो जैसे आलू,बटुए में हल्के-हल्के॥ अंगड़ाईयां है, लेती मेरे मन की यह दीवारें। शर्मा जाती है घासों की ये लम्बी कतारें॥ जब फूंकती हवा […]

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नदी हूँ मैं, सभ्यताओं को बसाती और उनका उजाड़ती भी, मिश्र में नील नदी बनके हड़प्पा में सिन्धु नदी। नदी हूँ मैं, तोड़ दूँगी अपनी धारा को लांघ जाऊँगी अपनी ही, लक्ष्मण रेखा को। नदी हूँ मैं, देश सीमा में न बँधी जिसे मैं पार न कर सकूँ, सिन्धु,रावी व […]

निराकार साकार सर्वाणि रुपम, प्रियं भक्ति श्रद्धा न दीपम न धूपम। गरल कण्ठ धारी धरे शीश गंगा, बनी कण्ठ कण्ठी वो माला भुजंगा। भलो भाल चँदा है नन्दी सवारी, प्रभु प्यास पूरण करो अब हमारी। बाघम्बरं वस्त्र धारे शरीरं, प्रकल्पं परेशं प्रबद्धी परीशं। गुणी-निर्गुणी और जन्मे-अजन्मे, शवम् की भभूति लपेटे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।