कितना आसान है, अपने जीने के लिए दूसरे को मार देना। अपनी खुशी के लिए, दूसरे को तार देना। मजबूरी में झूठ बोलना, तो फिर भी समझ में आता है लेकिन जब बेवजह, कोई किसी का दिल दुखाता है तो इस मसखरेपन में ,एक बचकानापन नजर आता है। कैसे कहूँ […]
काव्यभाषा
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