जो सत्ता में बैठा है, उसका गरूर लाजमी है, खुदा नहीं है वो मगर, थोड़ा सरूर लाजमी है। नादां है वो, जो खुद को बादशाह समझता है, चुनें न जो हम उसे, उसकी फकीरी लाजमी है। हम बहुत कमजोर हैं, ये तो मालूम है हमें, कह दो उससे,उसका डरना जरूर […]
काव्यभाषा
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