शब्दों में कैसे बयां करुं, एक सैनिक का दर्द परिवार से पहले देश के लिए निभाता फर्जl अपनों के लिए नहीं मौका, मिलता करने का अर्ज लेकिन,क्यूँ सैनिक ही पूरा करता देश के लिए कर्जl नेता क्यूँ नहीं होता, देश का असली मर्द नेता चुनाव में ही अनाथ के साथ सोता […]
काव्यभाषा
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धन्य जवान ये वीर भगत सिंह,जिसने स्व कुर्बान किया। हँसते-हँसते फाँसी चूमा, आजादी हित बलिदान कियाll स्वतंत्रता के हवन कुण्ड में अपनी आहुति देकर, इंकलाब के नारे का `मनु`युवा दिलों में आह्वान कियाll इंकलाब की गूँज उठी,तब हर दिल में बसा तिरंगा था। जब आजादी की लपटों से मौसम का रंग सुरंगा थाll भारत माँ भी धन्य हुई तब पहन के चुनर बलिदानी, जिस चुनर को भगत सिंह ने रंग बंसती रंगा थाll युवाओं के दिल में मचलता जोश है भगत सिंह। इंकलाब जिंदाबाद का उद्घोष है भगत सिंहll गूँगे-बहरे कुशासन को जगाती बुलंद एक आवाज, जो अंग्रेजी आँधी में भी जलती रही,वो जोत है भगत सिंहll सरफरोशी की तमन्ना दिल में लिए जो बढ़ चलाl आजादी की पुस्तकों में अमिट गाथा गढ़ चलाll मेरी कुर्बानी से जन्मेंगें सैकड़ों भगत सिंह कह- सौंपने स्वयं को बलिदानी तख्त पर चढ़ चलाll #मनोज कुमार […]
है तुमको रहना।रामायण की सीता का भी तो सबसे बस यही है कहना॥ लांघी थी उसने एक लक्ष्मण रेखा।फिर हुआ एक संग्राम,जो था समस्त विश्व ने देखा॥ ठहराया था सबने सीता को दोषी।क्यों नहीं देखी किसी ने राम की खामोशी॥ कर दिया खड़ा कठघरे में सबने सीता को।क्यों किसी ने कुछ नहीं कहा उस दुष्ट रावण को॥ कहती रही वो सबसे-हूं मैं अभी भी पावन।काश एक बार राम ने भी कहा होता-प्रिये उदास न हो,गलत तो था वो रावण॥ निकाल दिया सबने सीता को अयोध्या से, किसी ने उसकी एक न मानी।राम भी खड़े थे उस भीड़ में,जो थी असल सत्य से अनजानी॥ देनी पड़ी सीता को अग्निपरीक्षा।क्या इसी क्षण की,की थी उसने चौदह वर्ष तक प्रतीक्षा॥ राम नाम लेते-लेते जिसका मुख नहीं था थकता। फिर उसी सीता के लिए थी,राम की ये कैसी बेबसता॥ रोती हुए सीता चली गई एक वन में।कहती किससे वो,आ गया था जो दुख उसके जीवन में॥ होता रहेगा नारी का,और कितना अपमान।न जाने करती रहेगी वो कितने बलिदान॥ #शिवानी गीते परिचय: लेखन में शिवानी गीते का उपनाम-वाणी है। इनकी जन्मतिथि-३ अगस्त १९९७ तथाजन्म स्थान-खरगोन(मध्यप्रदेश)हैl आप वर्तमान में इंदौर में निवासरत हैं। शिक्षा-बीए(पत्रकारिता एवं जनसंचार) है तो पेशा यानी कार्यक्षेत्र भी पत्रकारिता ही हैl लेखन के नाते ही समाज से जुड़ाव है। दैनिक अखबार में कविता प्रकाशित हुई है तो उपलब्धि यही है कि,प्रसिद्ध समाचार वेब पोर्टल पर लेख लगे […]
