पढ़ना लिखना है जरूरी, शिक्षा से ज्ञान की ज्योति जले। शिक्षा बिना है जीवन अधूरा, शिक्षा से जीवन सफल बने। शिक्षा से अर्जुन बनकर, साधो लक्ष्य पे निशाना। कुछ करके दिखाओ ऐसा, नाज करे ये जमाना। देख अड़चने राहों में, पथ से भटक मत जाना। पढ़ना लिखना है……….. चमकी उनकी […]

परमपिता के हम सब बच्चे क्या छोटे क्या बड़े बच्चे सबमे एक से प्राण बसे है क्या गोरे क्या काले बच्चे प्यार आपस मे बस बना रहे क्या लाये थे क्या ले जाएंगे बच्चे बच्चे ही तो स्त्री पुरुष है बनते निरहंकार से सजते है बच्चे स्त्री-पुरूष साथ दोनों चलते […]

दिल लेकर पूछती हो कौन हो तुम। जान कर भी अनजान बनती हो तुम।। दिल के बदले दिल दिया था मैंने। पूछता हूं इनका ज़बाब क्यों मौन हो तुम।। भली भांति जानती हो कौन हूं मै तुम्हारा। मेरे पास वह दिल है जो कभी था तुम्हारा।। ये सच है मै […]

जैसा सोचोगे वैसा ही होगा अच्छा सोचोगे अच्छा ही होगा बुरा सोचोगे बुरा ही होगा जैसा चाहते हो वैसा ही होगा बस सोच अपनी सही बना लो मनमाफिक अपना भाग्य बना लो जैसा खुद बनोगे वैसे सब बनेंगे तुमसे ही सबके भाग्य बनेगे खुद को खुद का आईना बना लो […]

जब मिले गुरुके दर्शन जब मिले प्रभुके दर्शन। देखकर गुरु प्रभु को हो जाता श्रावक धन्य ।। २ ज़िंदगी की दास्तां, चाहे कितनी हो हंसीं बिन गुरुके कुछ नहीं, बिन प्रभुके कुछ नहीं।। क्या मज़ा आता मुनिवर, आज भूले से कहीं गुरुवर भी आजाते यहाँ, मुनि संघ के सहित देखकर […]

ये प्यारे प्यारे नन्हे मुन्ने, बरबस मन मोह लेते हैं। मधुर मधुर मुस्कान लिए, जब पास हमारे होते हैं। थोड़े चुलबुले,थोड़े नटखट, होते हैं प्यारे बच्चे। स्वार्थ ना कोई होता दिल में, होते हैं मन के सच्चे। देख इन्हें फिर हमको भी , बचपन याद आता है। कुछ पल लिए […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।