करते हैं व्यवहार जो,आशा के विपरीत। खो देते हैं एक दिन,वे अपनों की प्रीत॥ सिर्फ वही विद्वान है,जिसको है ये ज्ञात। कौन समय पर कौन-सी,उचित रहेगी बात॥ घर आए महमान का,जो करता अपमान। क्या उसका साहित्य है,वो कैसा विद्वान॥ बस उनके वक्तव्य ही,होते हैं अनमोल। समय परख कर बोलते,हैं जो […]
काव्यभाषा
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