रब तो रहमत करता है सदा एक-सी सब पर, फिर क्यों अलग-सा ही वो सबसे पाते हैं। अरे जो पूछते हैं ऐसा,उन्हें बता दो बस इतना, अलग-सा पाने वाले माँ-बाप के चरणों में शीश झुकाते हैं। वो कुछ नहीं करते इसके अलावा अलग पूरी जिंदगी में, फिर भी उनके ये […]
काव्यभाषा
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