कितने रिश्ते,कितने नाते, दुनिया में बनाते हैं। दिल से पूछें अपने हम, कैसे उन्हें निभाते हैं॥ लोभ-लालच और अय्यारी, रिश्तों में भर देते हैं। दाग़दार इन रिश्तों को, हम ख़ुद ही कर देते हैं॥ आओ रिश्तों को हम, थोड़ा-सा रूहानी कर दें। दिल […]
काव्यभाषा
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तुम्हीं में बसा काशी काबा, तुम्हीं में गुरुद्वारा है। तुम्हीं में मेरी अयोध्या नगरी, तुम्हीं में नाथद्वारा हैll तुम्हीं से निकलती गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती। तुम्हीं में बहती वात्सल्य रूपी, अमृत धारा हैl तेरे दोनों चरण बद्री और केदार, माँ उसी में बसा मेरा पूरा संसारll आँखें खुली तो तेरा दर्शन पाया, […]
