वक्त कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला, मिट्टी के घरोंदे के बंटवारे की लड़ाई में कब घर को बांट लिया पता ही नहीं चला, पगडंडी पर चलते चलते न जाने कब छः लेन सड़क पर पहुंच गए पता ही नहीं चला दादा के कंधे पर चढ़ हटखेलियां करते करते […]

आग कहां की तन की मन की जंगल की समुद्र की महत्वपूर्ण जलने न दिया जाए भड़क न पाए। कभी राजनीति की कहीं स्वार्थ की पदलोलुपता की पर- यह शिष्टाचार का सफर भ्रष्टाचार तक ही इसीलिए गम्भीर न गम्भीर तो है पेट की भूख की आग जो क्या न करा […]

‘सुन-ए-मगरूर तकब्बुर नहीं अच्छा होता क्योंकि हर वक्त मुकद्दर नहीं अच्छा होता’इस पंक्ति के रचनाकार है पंडित प्रेमचंद सन्ड ,जो रुड़की के पहले ज्ञात साहित्यकार माने जाते है।उनके बाद पंडित कीर्ति प्रसाद शुक्ल ने लिखा,’परेशानियां जो न होती जहां में ,किसी से खुदा की इबादत न होती’,रुड़की के केंद्रीय भवन […]

नदियाँ, नहरें, पोखर सब, अक्षय संसाधन जल के हैं। अमृत का है रूप धरा पर, जल सारे जीवों का जीवन है। जल संसाधन हम सबकी, हरपल प्यास बुझाते हैं। धरती माता के आँचल को, सदा हरा भरा बनाते हैं। बिजली का हो उत्पादन , या हो मछली का पालन । […]

मोहब्बत का नशा बड़ा अजीब सा होता है। जब मोहब्बत पास हो तो दिल मोहब्बत से घबराता है। और दूर हो तो मिलने को बार बार बुलाता है। और दिलों में एक आग सी जलाये रखता हैं।। दूर होकर भी दिल के पास होने का एहसास हो। मेरे दिलकी तुम […]

खून का रंग लाल अच्छा नहीं लगता हो रहा जो बवाल अच्छा नहीं लगता आएंगे अब अच्छे दिन, बात पुरानी है जहन में ये खयाल अच्छा नहीं लगता बिक रहा जिधर देखो मौत का सामान ढोल नगाड़े गुलाल अच्छा नहीं लगता बिछाया है किसी ने गरीबों को फंसाने हकीकत यही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।