सोते रहे हमेशा है कमान जिनके हाथों हालात सरहदों के न हमें सोने देते, बांधा है बेड़ियों ने मजबूर हम पड़े हैं मिलती जो इजाजत साथी न खोने देते। आखिर क्यों खड़े हम यूं ही बंदिशों में मारने को उनको हो अधिकार में हमारे, उठते रहे जनाजे वीरों के टोलियों […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
