न खेती है,न बाड़ी है,न घर है। फिर भी देखो कितना महंगा वर है॥ मन में उमंग नहीं,जीने का ढंग नहीं। जीवन के सागर में एक भी तरंग नहीं॥ सभ्यता-संस्कार नहीं,सोच में निखार नहीं। आपस में प्यार नहीं,शिक्षित परिवार नहीं॥ काला अक्षर भैंस बराबर है। फिर भी देखो कितना महंगा […]
काव्यभाषा
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हैं भारत की शान बेटियाँ, गीता और पुराण बेटियाँ। सागर की लहरों-सी मंजुल- नम्र नमित मुस्कान बेटियाँ। गंगा की लहरों-सी कोमल, मानस की रचना-सी निर्मल। सदा सुमंगल बेला पावन- नित अधरों की गान बेटियाँ। कल्पलता-सी मंगल माया, रहती जिनके आँगन छाया। लक्ष्मी विद्या-सी वरदानी- सद्ज्ञानी शुचिमान बेटियाँ। सीता राधा गार्गी […]
