मेरा देश रो रहा है, कैसे इसे आज़ाद मानूं ? ये जकड़ा है सम्प्रदायिक ताकतों से, कैसे इसे आज़ाद मानूं ? ये पटा पड़ा है, विदेशी कंपनियों से कैसे इसे आज़ाद मानूं ? महिला जहाँ सुरक्षित नहीं, कैसे इसे आज़ाद मानूं ? जिस देश में बच्चियों को एक सांस नसीब […]
काव्यभाषा
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