मैंने अपने मन के आँगन में यादों का एक पौधा लगाया है, उसे रोज मैं अपने भावों के जल से सिंचित करती हूँ, उसके बढ़ते हुए स्वरुप को निहारा करती हूँ, कभी उसकी नन्हीं पत्तियों को सहलाती हूँ, कभी उसकी हरियाली पर मंत्रमुग्ध हो जाती हूँ, मेरी यादों के इस […]
काव्यभाषा
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