अपना देश महान, आओ मिलकर भारत की महानताएं बतलाएं। उत्तर में शान से खड़ा हिमालय, दक्षिण में हिन्द महासागर है पश्चिम में कच्छ का मैदान, पूर्व में वर्षा वन सुशोभित है। यहीं गंगा-यमुना-नर्मदा शान से बहती है॥ आओ मिलकर भारत…। यहीं राम कृष्ण की जन्मभूमि, यहीं कृष्ण ने गीता का […]

बच्चों मानव अंगों में छिपे हैं, ज्यामितीय आकृति के राज। कान लगे जैसै  हो अर्धवृत्त, बिंदु जैसी बनी प्यारी आंख॥ त्रिभुज  जैसी  बनी है  नाक, वक्र  रेखा-सी  लगे पलक। वृत्त जैसा लगे हमारा चेहरा, शंकु जैसे लगे सिर के बाल॥ रेखाखंड  जैसे  लगे  पैर, समानांतर चतुर्भुज हाथ। आयत-सी  बनी काया, […]

  शाला हमको लगती प्यारी। हम हैं पौधे, वो है क्यारी॥ खेल-खेल में सीखें अब। डंडे नहीं लगते अब॥ करके सीखें,बारी-बारी। शाला हमको लगती प्यारी॥ हमें गुरूजी करें दुलार। माँ जैसा उनका है प्यार॥ नहीं किताबें हम पर भारी। शाला हमको लगती प्यारी॥ शाला रोज जाते हम। ज्ञान का दीप […]

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प्रकृति स्वयं में सौम्य सुशोभित,सुन्दर लगती है। देख समय अनुकूल हमेशा,सोती-जगती है॥ जब मानव की छेड़खानियाँ,हद से बढ़ जाती। जग जननी नैसर्गिक माता,रोती बिलखाती॥ लोभ मोह के वशीभूत हो,जब समता घायल। बिन्दी पाँवों में गिर जाती,माथे पर पायल॥ अट्टहास कर मानव चुनता,जब उल्टी राहें। महामारियाँ हँसकर गहतीं,फैलाकर बांहें॥ चेचक हैजा […]

इस जगत में कौन किसकी प्रियतमा है, कौन प्रीतम। प्रीति द्युति चमको जहां पल, वहीं फूटा चिर विरहतम। देख जिसकी ओर बस, प्रीत वह ही मुस्कराता मौन होकर बात मन की सांध्य घन से दृग झुकाता, कांप निश्छल लाज प्रतिमा अचिर उपजती प्रणय भ्रम॥ प्राण का दीपक जलाकर, थाल में […]

बहुत दिलकश नजा़रे थे, जब हम शौक के मारे थे। नहीं फिक्र समय की थी, के पहिए हाथ हमारे थे। समय कब-कहाँ-कैसे गुजरे, वक्त के साए तो संग हमारे थे। थे अल्हड़ नटखट बेपरवाह, के मौसम के सारे नज़ारे हमारे थे। भाग रही थी दुनिया आगे, हम तो बस अपने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।