अपना देश महान, आओ मिलकर भारत की महानताएं बतलाएं। उत्तर में शान से खड़ा हिमालय, दक्षिण में हिन्द महासागर है पश्चिम में कच्छ का मैदान, पूर्व में वर्षा वन सुशोभित है। यहीं गंगा-यमुना-नर्मदा शान से बहती है॥ आओ मिलकर भारत…। यहीं राम कृष्ण की जन्मभूमि, यहीं कृष्ण ने गीता का […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
प्रकृति स्वयं में सौम्य सुशोभित,सुन्दर लगती है। देख समय अनुकूल हमेशा,सोती-जगती है॥ जब मानव की छेड़खानियाँ,हद से बढ़ जाती। जग जननी नैसर्गिक माता,रोती बिलखाती॥ लोभ मोह के वशीभूत हो,जब समता घायल। बिन्दी पाँवों में गिर जाती,माथे पर पायल॥ अट्टहास कर मानव चुनता,जब उल्टी राहें। महामारियाँ हँसकर गहतीं,फैलाकर बांहें॥ चेचक हैजा […]
