शिल्प ~ [(मगण भगण सगण)+गुरु] प्रति चरण 10 वर्ण चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत। यति प्रायः 4,6 वर्ण पर। 222 211 112 2 सीता माँ के,चरण परूँ मैं। रामा जी का, वरण करूँ मैं।। ध्याऊँ गाऊँ, कर कर पूजा। ऐसा नाहीं, प्रभुवर दूजा।। #नीतेन्द्र सिंह […]
काव्यभाषा
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