बहर~2122 2122 2122 212 काफ़िया-आना रदीफ़-चाहिये बैठकर यूं ही नहीं आँसू बहाना चाहिये भूलकर हर दर्द यारो मुस्कराना चाहिये खंजरों से तेज होती है किसी की बददुआ जानकर तो दिल किसी का ना दुखाना चाहिये रूठ जाने का अगर ये शौक उनके सर चढ़ा ठीक ही है प्यार का मुझको […]
काव्यभाषा
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