मेरे जिगर में ज़ब्त-ए-गम ये खौलता क्यूँ है। मैं जो खामोश हूँ तो मेरा दर्द बोलता क्यूँ है।। ऐ खुदा तुझसे ये पहली सी मेरी शिकायत है। क्या तुझे मुझसे भी थोड़ी सी मोहब्बत है।। गर मोहब्बत है तो फिर मुझको तौलता क्यूँ है।। खाक करने के लिए  मुझको बनाया […]

नदी सी स्त्री तुम निरंतर बहती रही हों औऱ सदा गतिशील रहना… क्यूकि ठहरना स्त्री धर्म नहीँ है स्वंतंत्र चेतना सजग जागरूक मगर कबीर की माया प्रसाद की श्रद्धा गुप्त की अबला तुलसी कहे  ताडना की अधिकाराणि तुम दोयम दर्जे की ही नागरिक हों माँ हों बेटी हों पत्नी औऱ […]

पशु पक्षी भी जीव है रखिए इनका ध्यान दाना पानी इनको मिले मिले सुरक्षित स्थान हिंसा इनपर करो नही ये भी प्रभु सन्तान प्यार इन्हें भी कीजिए पाइए बदले मे प्यार जीवन है अनमोल सभी का है ये ईश्वरीय उपहार जियो और जीने दो सबको परमात्म भी करेगे प्यार। #गोपाल […]

ख़्वाबों को दफनाकर क्योंकि, कितने अंजाम अभी बाकी हैं। पाकर रहेंगे सुदूर मंज़िल को,  रूह में हौंसला ए जान, अभी बाकी है।। चढ़ रही है पेड़ पर बेफिक्र गिलहरी, ना जाने कितनी उड़ान अभी बाकी है। तुम डरा कर तोड़ रहे थे मुझको, कर दूंगा साबित, प्रमाण अभी बाकी है।। […]

  मैं मोहपाश में बंधा हुआ, खुद से ही मैं छला गया, न कोई समुद्र मंथन था, न मोहिनी रूप धर, देव घर मे आए थे, पर फिर जाने कैसे, मैने अपने होश गवाए थे, मेरे हिस्से अमृत आया, या है ये गरल का प्याला, छोभ करू मैं इस निर्णय […]

ज़िन्दगी तुझसे पाया बहुत है पर यार… तूने सताया बहुत है समंदर की प्यास थी,दिये चंद क़तरे उस पर भी तूने जताया बहुत है दी तो ज़रूर तूने दो जून रोटी पर रात दिन भगाया बहुत है यह सोचकर, तू कभी तो सुधरेगी साथ तेरा मैंने निभाया बहुत है जब […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।