शान है मेरी तिरंगा मत इसे कपड़ा समझना ताक में दुश्मन खड़ा हैे मत कभी पलकें झपकना मुश्किलों से मिल सकी है देश को आजाद धरती अब नहीं स्वच्छंदता से मंच पर फूहड़ मटकना ये धरा है ऋषि मुनी की तप तपोबल से भरी है छोड़ तो तुम अब नशे […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
वीणावादिनी ज्ञान दायिनी ज्ञानवान कर दे…. माँ रूपसौभग्यदायिनी नव रुप भर दे…. हंसवाहिनी श्वेतांबरी जग उज्ज्वल कर दे….. वीणापाणिनि शब्ददायिनी शब्दों से भर दे…. ज्योतिर्मय जीवन तरंगमय जीवन सभी जन प्रकाशयुक्त सभी जन ज्ञानयुक्त अज्ञान निशा को जीवों से दूर कर दे….. सत्य पथ सत्यमय वीणा के तारों से विद्या-विनयमय […]
