एक निवेदन मेरा भी सुन लो आप ध्यान से कुछ तो समय निकालो अपने लिए भी काम से जीवन सारा बीत न जाये रोटी,कपड़ा,मकान मे परमात्मा का नाम लेना भी न आ पाये ख्याल में जीवन है प्रभु की देन कुछ अपेक्षा है आपसे व्यस्त समय से समय निकालो मिल […]

नाराज़ हैं मेहरबाँ मेरे अब आ भी जाओ कि अंजुमन को तेरी दरक़ार है ढूँढता रहा न मिला कोई तेरे जैसा कि महफ़िल तेरे बिना बेक़ार है तेरा लिहाज़ तेरी जुस्तजू तेरी आवाज़ में सुकूँ है कि तू इक अज़ीम फ़नकार है इब्तिदा होती नहीं बज़्म तेरी राह में निग़ाहें […]

रिश्तो को समझते समझते तह उम्र निकल गयी जब आयी रिश्तो की समझ तब ज़िन्दगी की डोर हाथ से फिसल गयी क्यूँ बेगानी सी ज़िन्दगी जीते रहे अपनेपन की आस में कुछ अपने ताह उम्र तरसते रहे जब किनारा आया नज़र तो पैरो के नीचे से जमीं निकल गयी ये […]

मेरी मोहब्बत में कोई राज़ नहीं    ये तो पाक़ीज़ा अहसास है । मेरे लब हैं अभी तक ख़ुश्क,     बुझती नहीं वो प्यास है ।। तेरे पाक़ दामन से बंधकर,    रिश्ता जोड़ना चाहता हूं । रूख़ मोहब्बत का तेरी, अब      मैं इधर मोड़ना चाहता हूं।। […]

बात हैं सन् सोलह सौ सत्तावन की , मुगल सेनापति रामसिंह ने हमला बोला था असम पर लेकर अनगिनत सेनानी साथ । नहीं पीछे थे लाचित बरफुकन जो थे वीर ,देशप्रेमी आहोम के सेनापति । कम सेनानी लेकर कैसे रोक सकेंगे शत्रु को , रण कौशल जानते थे वो रातों […]

माँ मुझको दे विदा तिलक, अब,सीमाओं पर जाना है। आतंकी और शत्रु वतन के, फिर गद्दारी वंश मिटाना है। जन्म जुस्तजू तेरे आँचल मे, जगती अभिलाषा सीमा पर। जब  तक श्वाँस चलेगी ,मेरी, मै,डटा रहूं निज सीमा  पर। वैज्ञानिक बनकर न जाऊं, चन्द्र ,ग्रहों की  खोजों पर। नहीं विमान  उड़ाना  […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।