उन शब्दों को मैं कहाँ से ढूँढ कर लाऊं , छः दशक बीते कैसे विचारों को संजोऊं। स्मृति शेष बन कहाँ खो गए धुधंलको में , पहला प्रयास ये, पर आए अश्रु पलकों में ।। सुनती रही माँ से उनकी कहानियाँ , तुम तीनों हो अब उनकी निशानियाँ । बचा […]

माना कि ‘अंग्रेजी’ की लिपि लिखना बड़ा लुभाता है; ‘गणित’ में जोड़-घटाना उसका महत्त्व समझ में आता है। ‘सामाजिक विज्ञान’ को पढ़कर समझ समाज यह आता है; माना कि ‘इतिहास’ को पढ़कर आँसू भर-भर आता है। ‘रानी’ थी जो लड़-लड़ अपने प्राण न्योछावर कर बैठी; ‘राणा’ दुश्मन काट-मारकर वीरगति को […]

कहाँ गए सावन के झूले , जो हर डाली पर पड़े हुए थे। कहाँ गईं सखियों की टोली, जो पीहर में घर-घर विचर रहीं थीं। कहाँ गए बच्चों के  वो ऊधम , जो मामा के संग मचा रहे थे । कहाँ गए वो गांव हमारे, जहां सावन में रस बरस […]

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कहते हैं जीवन दुखों से भरा है यहाँ हर कदम पर घाव गहरा है हम अपनी स्वाभाविक गति नहीं कर पाते यहाँ हर क्षण अनजान भय का “पहरा” है कभी समझौते करते हैं, कभी बगावत कम नहीं होती है ये उलझन,ये आफत किसी उधेड़बुन में “जीवन” मर रहा होता है, […]

आज बारिश में भिगकर भी,  तेरे इश्क का पैगाम लिखता हूं। नन्हीं- नन्हीं हर एक बूंदों को, बस तेरे हीं नाम करता हूं।। मैं डरता हूं फिर सहमता हूं , कि इन्हें तेरे पास कैसे? पहुंचाए। नन्ही- नन्ही बारिश की बूंदें, कहीं? धराविलिन न हो जाएं।। यदि धराविलिन हो गई […]

श्रावण मास मे याद आते शिव पदयात्रा कर हम रिझाते शिव गंगा जल,बेल पत्र ,धतूरा अर्पण करते ,कहते सब तेरा भांग,चरस और गांजा व्यसन नशा करते और मनाते जश्न शिव का नही व्यसनों से नाता शिव को बुरा कुछ नही भाता पतित से पावन बनाते है शिव सर्व का कल्याण […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।