पुन: स्मरण करें आज कैसे देश श्मशान हुआ था पंख काटकर सोन-चिरैया के स्वतंत्रता का गान हुआ था बलिदानी शव बने थे सीढ़ी लगाम थामना आसान हुआ था सूरज उगते बदला नहीं दिनांक बीच रात स्वामी गुणगान हुआ था पुन: स्मरण करें आज . . . . . नर्म गद्दों […]
काव्यभाषा
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