लाखों लोग कर रहे अनशन ऐसी क्या मजबूरी है जू तक नहीं रेंग रही इनके बस प्रचार जरूरी है नौ-नौ दिन से भूखे-प्यासे घरबार तक छोड़ दिया बेरोजगारी की जकड़न में जीवन ने मोड़ लिया एक हजार की भर्ती निकले लाखों फॉर्म भरते है उम्मीदें टूट जाती है जब सब […]
काव्यभाषा
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