शून्यता से पूर्णता अनन्त तुम्हारा विस्तार है। सृष्टि के कण कण में विराजित तेरा ही साम्राज्य है। आख्यान तुम व्याख्यान हो अपरिमेय संपूरित ज्ञान हो हे अनादि अनदीश्वर तुम्ही सांख्य विषय कला और विज्ञान हो। सूत्र हो सूत्र धार हो नियति तुम करतार हो हो परिभाषित संचिता अपरिभाषित तुम भरतार […]
काव्यभाषा
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