हिंदी हूँ मैं हिंदी भारत के माथे की बिंदी। कभी आसमान पर कभी रसातल पर घूमती अतरंगी हिंदी हूँ मैं हिंदी।। मुझे छोड़कर सेमिनारों में चलते अंगरीजी अक्षर न्यायालय के कामकाजों की मुझको नही खबर अपने ही देश तिरस्कृत होकर बन गई आज फिरंगी हिंदी हूँ मै हिंदी।। शेखी मारते […]
काव्यभाषा
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