घाटी से उठी चिंगारी पूरा देश में धधक गया देखो डर के मारे सात हूरों खा ख्वाब दिखाने वाला अस्पतालों में छुप गया। इतना गरूर अगर था, तुम्हें सामने से आये होते सच कहता हूँ एक-एक जवान दस-दस पर भारी होते। घोखे तुम्हारी रग-रग में भरा मक्कारी की फसल बोते […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
