चौदह वर्ष का वनवास केवल राम,सीता और लक्ष्मण ने नही झेला….. उनके साथ उर्मिला,भरत और माता कौशल्या और सुमित्रा ने भी भोगा वनवास,,,, अपने प्रियजनों के बिछोह का! जिसकी पीड़ा केवल शब्दों में व्यक्त नही हो सकती! वनवास उर्मिला को भी मिला पति से विरह का, भरत को भाई के […]

कुछ तो है , जो बदल रहा है। ना जाने ये , क्या चल रहा है? जल रहा है जो एक दीया सदियों से। ऐ हवा ! अब ये तुमसे क्यों लड़ रहा है? बुझ तो नहीं रही रोशनी धीरे-धीरे। या फिर और जोरों से जल रहा है? मालूम है […]

गाँवों की संस्कृति का, कहना है क्या यारों। लोगों के दिलों में, बसता है जहां प्यार। इंसानियत वहां पर, जिंदा है अभी यारों। कैसे भूल जाएं, अपनी संस्कृति को। मिल बैठकर बाटते हैं, गम एक दूसरे के। जब भी कोई विपत्ति, आती है सामने से। सब मिलकर उसका, हल निकालते […]

सुन तेरी वो भोली सी प्यारी सी मुस्कान मुझको अनवरत देखती हुई बड़ी बड़ी गोल निश्चल आंखें और मुख पर जुन्हाई सी हँसी मुझे जिंदगी से शिकायत नहीं करने देती और मेरा सारा दर्द सोखकर तेरे सुनहरे भविष्य के लिए सहज हो तेरे साथ बीते हर लम्हें को जो मेरी […]

चलते चले जा रहे, कुछ पाने के लिए। मंजील का पता नही, फिर भी चले जा रहे है। सोच कर की कभी तो, हमे मंजील मिलेगी। और इसी आशा में, जिंदगी जिये जा रहे है।। जीवन का लक्ष्य हम, एक दिन जरूर पाएंगे। कहने से पहले, कर के दिखाएंगे। और […]

जीवन का “विवादास्पद” होना सहनीय है लेकिन “हास्यास्पद” होना….. उत्थान और पतन हास्य और रुदन यही है जीवन कलकलाती गंगा में भी रेत को उड़ते देखा है। ज़िन्दगी की कहानी को क्षण भर में मुड़ते देखा है।। ज़िन्दगी एक पहेली है । विश्वसनीय सहेली है।। प्रेम- भाव उर में जगाकर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।