सताये हुए हैं,फिर तुम क्यों सताते हो, बिन बात के,मुझे तुम क्यों सताते हो। मालूम है सब कुछ ये नई बात तो नहीं, फिर ये बात मुझसे क्यों छिपाते हो। जल रहे है बिन आग के हम किसलिए, पहले ही जले है और क्यों जलाते हो। जमाना हो गया है,अब […]
काव्यभाषा
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