नीला गगन, सुंदर पवन,देखो घटा सुनहरी छाई है।चहक रहे हैं पंक्षी चहुँ ओर,प्रातः वंदन की बेला आई है।। कैसी सुंदर सी आई है बेला,किरण आँचल में प्रकाश लाई है।देख गगन की छटा मनोरम,सबके होंठों पर मुस्कान आई है।। मद मस्त पवन झूमे मस्ती में ,धरा पर देखो बहार आई है।नीले […]
काव्यभाषा
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