कब तक घुट घुट जियेगी नारी? कब तक आजादी को तरसेगी? कब तक आंसू के घूंट पीयेगी? कब तक खुशियों को तरसेगी? कब तक सबकी खुशी की खाति, गला अपनी खुशियों का घोंटेगी? कब तक सबके मान की खातिर, हरपल अपने सम्मान को बेचेगी? लेती जन्म जिस घर मे नारी, […]
काव्यभाषा
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