माँ तेरे आँचल में वो क्या जादू है, धूप में छाया ये कैसे देता है। ठण्ड से जब भी हुआ वेकाबू मैं, गर्मी ये मखमल-सी कैसे देता है। जी करता है लिपटकर जानूं तो, खुशबू ये आँचल की कैसे देता है। माँ तेरा आँचल है कल्प वृक्ष-सा, शीतल हवा,वो छाँव […]
काव्यभाषा
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