कब तक भारत भू पर ऐसे निष्कपूतों को झेलोगे, केवल कुर्सी के स्वार्थ में आकर लोकतंत्र से खेलोगेl के गाकर पाकिस्तान का जो,अब भी भारत में लेटे हैं, कैसे कह दूँ कि,ये सारे एक बाप के बेटे हैंl अरे मिमियाना अब बंद करो,भाषा बोलो फौलादों की, खाल खींच दो जयचंदों […]
काव्यभाषा
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